एक नया मंज़र,
एक नया मंज़र,
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समय ने रफ्तार बदली है,
हमनें भी तस्वीर बदली है,
हम भी हसरतों को पालते हैं जनाब,
हमने भी मुस्कुराते रहने की,
आदत पकड़ ली है।
जियो जिंदगी को,अपने हिसाब से,
कह दो हसरतों को,आएं
गी ख्याब में,
अभी तो एक हसरत की
नब्ज़ पकड ली है,
हमने फिर से मुस्कुराते रहने की
आदत पकड़ ली है,
आओ फिर एक नया खेल हो जाए,
सुबह उठकर एक नया संघर्ष हो जाए,
बादलों से, नभ में एक नयी उड़ान हो जाए,
संघर्ष में भी मुस्कुराने की
जिद सी पकड़ सी ली है
हम होगें कामयाब।