जीतूंगा मैं
जीतूंगा मैं
जीतूंगा मैं
कितनी ही बार कहूँगा
अंतरतम से उठती आवाज़
प्रेरणा है जीवित मेरी
कहाँ से लाऊ ऊर्जा
जिंदगी है धड़कती
ऐसा-वैसा ख्याल नहीं
सीधी बात है मेरी
संघर्ष करूँगा
हारूँगा नहीं
जीतूँगा मैं
हारना मुझे स्वीकार नहीं
नियत में मेरी कोई खोट नहीं
रौशनी है भरपूर जहाँ में
अंधकार का कोई ग़म नहीं
जिंदगी है दोस्तों
हँसकर जियूँगा मैं
अभी तो दम हैं जिंदा
जीतूंगा मैं
तुम कुछ भी समझो
मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता
प्रमाण-पत्र बाँटती दुनिया
अरे मेरे गिरेबान में मैं झांकूँगा
मेरी जिंदगी है
इसको जी भर जियूँगा
तुम्हारे जैसे चवन्नी छाप कई मर गए
हिमालय कोई डिगा नहीं सका
हौसला है मेरा एवेरेस्ट सम
किंचित झुकूँगा नहीं
खेलूंगा और जीतूंगा
गिरूँगा तो पुनः उठूँगा
किसी के बाप की मजाल
मेरा रास्ता रोके
स्वयम चलूँगा मैं
जीतूँगा मैं।