दियवा जराई जी
दियवा जराई जी




आईल दिवाली घरे दियवा जराई जी
गईया के गोबरा से दुअरा लिपाई जी
घरवा के संगवा मनवा के गंदगी
दुख दुर्भिक्षवा अब बहरा भगाई जी।
होखे ना चाही केहुके घरवा अनहरिया
दिअवा के जगमग उगावा अंजोरिया
रोवत लइकवा दे फुलझरिया हँसाई जी
आपन पराया इहवा केहु ना होला।
मिली घरवा सजावा मनवा गांठ खोला
करा दूर दुख दुखिया बड़ा दिलवा दिखाई जी
होई उजियारा खाली तोहरे महलिया
जरी काहे नाही दिअवा मोरे झोपड़िया।
मने देशवा सगरो दिवाली जतन कराई जी
जरे कही दिअवा कही दिलवा ठीक नईखे
खाये कही मिठाई कही भुखल ठीक नईखे
रहे नाही केहु बाकी सबके खिआई जी।
भरल पुरल रहे सबकर कोठरिया मे
सुख शांति रहे मोरे भारत नगरिया मे
दिवाली दिलवा से दिलवा मिलाई जी।