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ईरोम शर्मिला चानू के लिए

ईरोम शर्मिला चानू के लिए

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उसकी पेट में भी

भूख है

धू-धू कर

आग जल रहा है

हाँ -हाँ शेर के जैसी भूख

मुह फाड़ कर खड़ा है


उसकी पीठ से भीड़ा पेट में

गरम भात की नहीं

एक टुकड़ा सुखी

रोटी का भी नहीं

मान और इज्जत

पाने का भी नहीं


उसकी पेट में है

समाज को सुख से

रखने की भूख

सभी को समान

अधिकार मिले

गरीब भूखे पेट

न रहे


उन्हें भर पेट भोजन मिले

उसकी भूख।


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