चंद्रयान 2
चंद्रयान 2
सर उठा कर हम यहाँ रहते बड़े ही शान से ।
नाम ऊँचा सब करें, माँ भारती के गान से ।।
योजना से आप की सब ठीक ही चलता रहा।
क्यों उदासी में रहें, मंज़िल मिलेगी ज्ञान से ।।
दो कदम थी दूर मंज़िल, अब बिछडती जा रही।
हौसला रख कर्म पथ पर तू बढ़े जा शान से ।।
राह धूमिल हो जलाना, दीप तुम विश्वास का ।
साथ अपनों का मिला पूरा करेंगे जान से ।।
ऑर्बिटल घूमता है चाँद के चारों तरफ
लैंडर भी चूम लेगा मुख बड़े अभिमान से।
टूटती है आस जब होती निराशा है बड़ी ।
ये तिरंगा चाँद पर होगा बड़ी ही शान से ।।