लावणी छंद आधारित गीत "माता के दरबार चलो"
लावणी छंद आधारित गीत "माता के दरबार चलो"
(लावणी छंद आधारित गीत)
माता के दरबार चलो।
माता बेड़ा पार करेगी, करके ये स्वीकार चलो।।
जग के बन्धन यहीं रहेंगे, प्राणी क्यों भरमाया है।
मात-चरण की शरण धार के, मन से त्यज संसार चलो।।
माता के दरबार चलो।।
जितना रस लो उतना घेरे, जग की तृष्णा ऐसी है।
रिश्ते-नाते लोभ मोह का, छोड़ यहाँ व्यापार चलो।।
माता के दरबार चलो।
आदि शक्ति जगदम्ब भवानी, जग की पालनहारा है।
माँ से बढ़ कर कोउ न दूजा, मन में ये तुम धार चलो।।
माता के दरबार चलो।
नवरात्री की महिमा न्यारी, अवसर पावन आया है।
'नमन' कहे माँ के धामों में, सारे ही नर नार चलो।।
माता के दरबार चलो।