गीत : कायदे में नहीं रहना है
गीत : कायदे में नहीं रहना है
कायदे में अब मुझे नहीं रहना है
उन्मुक्त दरिया की तरह बहना है
खोलकर दरीचे उड़ने लगी हूं
उमंगों के सपने बुनने लगी हूं
कंवल जैसी खिलने लगी हूं
स्वतंत्र अस्तित्व जीने लगी हूं
रूढियों के सींखचों में नहीं रहना है
उन्मुक्त दरिया की तरह बहना है
लक्ष्मण रेखा तो पहले ही लांघ चुकी थी
अग्नि परीक्षा में हर बार पास हो चुकी थी
भरी सभा में अपमान का घूंट पी चुकी थी
मर मरकर सैकड़ों बार जीवित हो चुकी थी
अब और अपमान नहीं सहना है
उन्मुक्त दरिया की तरह बहना है
मैं अबला नहीं हूं, दिखा दूंगी
बेबस लाचार नहीं, बता दूंगी
मुझे कमतर मत समझना लोगो
मैं दुर्गा हूं, नाकों चने चबवा दूंगी
इस जग से बस यही कहना है
उन्मुक्त दरिया की तरह बहना है ।