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गीत - देश के वीर

गीत - देश के वीर

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अपने देश के सीमांत जाकर

वीरता का काम देखो कर रहे हैं। 


माँ-पिताजी, बाल-बच्चों से अलग हो

भ्रात-भगिनी-मित्र-बीवी से विलग हो। 

वीर हरपल सोचते होंगे यही बस,

देखते हैं अश्रुपूरित नैन मग हो।


स्वर्ग का उपमान जिसको दे दिया है, 

खूबसूरत त्याग अपना घर रहे हैं।

वीर अपने देश के।


शत्रु जब सीमा हमारी लाँघ जाते

गोलियाँ निज सैनिकों पर जब चलाते। 

तब हमारे वीर बन हाज़िरजवाबी

शौर्य विध्वंसक समर में हैं दिखाते। 


तब मचा ताण्डव विनाशक रूप धरकर, 

रिपुदलों के वास्ते विषधर रहे हैं।

वीर अपने देश के।


आग सीने में लिए संग्राम करते

शत्रुओं को शीघ्र ही यमधाम करते। 

दुश्मनों का युद्ध में संहार करके,

जीत का ईनाम अपने नाम करते।


तान सीना तब भुजा बन्दूक रखकर, 

लग रहें जैसे अड़े गिरिवर रहे हैं। 

वीर अपने देश के।


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