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Anuradha Priyadarshini

Romance Tragedy

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Anuradha Priyadarshini

Romance Tragedy

गीत भला कैसे मैं गाऊँ

गीत भला कैसे मैं गाऊँ

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गीत भला कैसे मैं गाऊँ प्रियतम ही जब खोया खोया।

अधरों की मुस्कान भी खोई खुशियाँ सारी रूठ गई हैं।।


बंजर भूमि बीज नहीं है फसल भला कैसे लहराती।

मृगमरीचिका दूर तलक है बूंद बूंद को प्यासी धरती।।


इस निर्मम जग में निष्ठुर मन पाषाण हृदय धर बैठे।

प्रेम भरा दिल रोया ढूंढें प्रियतम छोड़ गए प्रिया हैं।।


रात रातभर चुपके चुपके इन नैनों ने हैं नीर बहाए।

जो भी सपने संग में देखे एक पल में सपन टूटे हैं।।


चातक प्यासा तड़प रहा जग निर्मोही बना अखाड़ा।

स्वाति की बूँदे जब बरसें तभी हो नवजीवन सबेरा।


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