घटना
घटना


मैं गांव के तालाब के किनारे खड़ी प्राकृतिक दृश्य का
आनंद ले रही थी
कहीं दूर पर्वतीय विशालता का मनमोहक नज़ारा दिख रहा था
आकाश पर
छिटपुट बादल छाए थे
बादलों के पीछे से
कभी-कभी सूर्य की किरणें भी झांक जाती थी
बरसात के दिन थे
तालाब पानी से लबालब भरा था किनारों पर जमी हरी काई
बीच में गंदला सा पानी।
अचानक मेरे पीछे खड़े
एक युवक ने
छोटा सा कंकर
तलाब में फेंका
'छप' की आवाज़ आई
वह कंकर पानी में नीचे चला गया
सतह पर गोलाकार भंवर सा बनने लगा
उसका आकार छोटा बड़ा और बड़ा
और - और बड़ा बनता चला गया ऐसा लगा मानो
भंवर सारे तालाब पर छा गया हो
चंद मिनटों बाद ही
सब कुछ शांत सा हो गया।
मन में विचार उठा
हमारे जीवन में भी तो
कुछ ऐसा ही होता है
कोई भी घटना घटित होती है
घटना खुशी की हो या
फिर शोक की
अच्छी हो या बुरी
खलबली सी मच जाती है।
मन प्रसन्नता से झूमने लगता है या
फिर बेचैन हो जाता है।
कुछ अरसे बाद फिर
सब सामान्य हो जाता है
पर पहले की तरह नहीं।
फर्क इतना रहता है
मानवीय जीवन में वह घटना
गाहे बगाहे कचोटती रहती है।
तालाब की तरह
सामान्य नहीं हो पाते
जीवन भर
उस घटना को भूल ही नहीं पाते।
चाहिए तो यह
उस घटना की याद तो रहे
पर कचोटे नहीं
मन में निराशा न भरे।