ग़ज़ल,, अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर
ग़ज़ल,, अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर
भ्रूण हत्या पाप है क्यों कर रहे हो।
पाप के पथ पर चरण क्यों धर रहे हो।
जन्म लेगी एक कन्या इस जहां में,
पालने से तुम उसे क्यों डर रहे हो।
वक्त पड़ने पर संभालें बेटियाँ ही,
व्यर्थ बेटे की तमन्ना कर रहे हो।
क्यों बहारें छोड़ पतझड़ माँगते हो,
सूखते पत्ते बने क्यों झड़ रहे हो ।
मौत आने पर बचा है कौन जग में,
मौत से पहले भला क्यों मर रहे हो।
भाग्य बिन मिलती नहीं लक्ष्मी किसी को,
बंद क्यों अपने दरों को कर रहे हो।
एक से हैं आज बेटा और बेटी,
फर्क दोनों में भला क्यों कर रहे हो।
