घायल हुआ कामदेव
घायल हुआ कामदेव
तुम करते बात
साधारण मनुज की
देवपुरुष तुम पर
मोहित हो जाएँ।
रूप का अथाह
सागर हो तुम
सुंदरता तेरी दासी
यौवन की सखी हो तुम
रति की प्रति कृति सी
पुष्प धनुर्धर जब चलाये
आम्र कुंज से तीर
पुष्पों के ,
प्रेमविहल हो जाता हर कोई
पर तेरे
नयन बाण से घायल हुआ
कामदेव
वही पुष्प धनुर्धर।