प्रभु
प्रभु
बिन तेरे हूँ जैसे जल बिना जीवन
चाहूँ तेरा साथ मैं आजीवन,
हाथ जोड़ तेरी स्तुति करूँ
हो कोई त्रुटि तो माफ कर देना,
पाप पुण्य को पीछे छोड़ मैं आया
है प्रभु आज ये मनुष्य तेरे समक्ष आया,
सीखूँ वही जो तू सिखा दे
चाहे पाप या पुण्य का भागी बना दे,
आज खुद को निर्मला पवन गंगा मे धोकर आया
ना पता मुझे मेरे कर्मो का, &
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सारे कर्म चरणों मे माँ के समर्पित कर आया
है प्रभु आज ये मनुष्य तेरे समक्ष आया,
अत्यंत विशाल ह्रदय है तेरा
मन मोह ले ऐसा स्वभाव है तेरा,
तू धर्म का है रखवाला
तुझे धर्म रक्षक कहते हैं,
लेता है अवतार धरा पर
जब धर्म संकट मे पड़ता है,
आज धर्म को खुद मे जगाने आया
हे प्रभु आज ये मनुष्य तेरे समक्ष आया।