STORYMIRROR

Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract

3  

Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract

नभ की चोटी

नभ की चोटी

1 min
189

मिले राह में काँटे तो मैं फूल समझकर रास्ता पार कर जाऊँ

आये ज़िन्दगी में तूफ़ाँ तो मैं अनुकूल बन सामना कर पाऊँ


दिये सब ने जो ज़ख़्म मैं ख़ुद मरहम बनकर सारे घाव भर दूँ

काट दिए जाएं मेरे पंख तो मैं हौसलों की उँची उड़ान भर जाऊँ


जमीं पर पैर रखकर भी मैं विश्वास से नभ की चोटी चढ़ जाऊँ

चढ़ाई के अवरोधों को पार कर मैं विजय का परचम लहराऊँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract