गौरेया
गौरेया
गौरेया को बचाने के नाम पर
छेड़ रहे हैं आज वो अभियान
जिनके सतकर्मों से बाग बगीचे
उजड़कर बने कंक्रीटों के मकान
स्वांग और उपदेश से गुंजा रहे हैं वे
लोग आज आसपास का माहौल
जिनके लिए बहुत सहज रहा कभी
प्रकृति के नियमों का उड़ाना मखौल
खेतों में रसायनों का छिड़काव कर
जो लोग अधिक उपज को रहे बेचैन
पंक्षियों और पखेरुओं की असमय
मौत पर नहीं खुले उनके कभी नैन
पर्यावरणविदों ने सही समय पर दी हैं
सभी आम भारतीयों की आंखें खोल
आगे जन जन को सुनाई और दिखाई
देगा गौरेया का कलरव और कलोल।