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SIDHARTHA MISHRA

Inspirational Children

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SIDHARTHA MISHRA

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गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र

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गायत्री मंत्र वेदों में निहित एक सार्वभौमिक प्रार्थना है। 

यह अविनाशी और पारलौकिक परमात्मा को संबोधित है

जिसे 'सविता' नाम दिया गया है,

जिसका अर्थ है 'जिससे सब पैदा हुआ है।' 


गायत्री के तीन भाग माने जा सकते हैं - (i) आराधना (ii)

ध्यान (iii) प्रार्थना। पहले भगवान की स्तुति की जाती है,

फिर श्रद्धा से उनका ध्यान किया जाता है और अंत में, 

मनुष्य की विवेकशील क्षमता, बुद्धि को जगाने और मजबूत

करने के लिए भगवान से अपील की जाती है।


गायत्री मंत्र को वेदों का सार माना गया है। 

वेद का अर्थ है ज्ञान, और यह प्रार्थना ज्ञान देने वाली क्षमता

को बढ़ावा देती है और तेज करती है। 

वस्तुतः इस गायत्री मन्त्र में चारों वेदों में 

निहित चार मूल-घोषणाएँ निहित हैं।


गायत्री मंत्र को सावित्री मंत्र के रूप में भी जाना जाता है,

ऋग्वेद (मंडल 3. 62.10) का एक अत्यधिक 

सम्मानित मंत्र है, जो सावित्री माँ को समर्पित है 

जिन्हें वेदमाता भी कहा जाता है। 

गायत्री वैदिक मंत्र की देवी का नाम है जिसमें श्लोक की रचना की गई है। 

महर्षि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की थी।


गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

गायत्री मंत्र के अर्थ पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि 

इस मंत्र के जप से कई प्रकार का लाभ मिलता है।

यह मंत्र का अर्थ है 'उस प्राण स्वरूप, दुःख नाशक, सुख स्वरूप,

श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम

अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि

को सन्मार्ग में प्रेरित करे।'


यानी इस मंत्र के जप से बौद्धिक क्षमता और

मेधा शक्ति यानी स्मरण की क्षमता बढ़ती है।

इससे व्यक्ति का तेज बढ़ता है साथ ही दुःखों से छूटने

का रास्ता मिलता है।


गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर हैं। 

यह चौबीस अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के

प्रतीक हैं।

यही कारण है कि ऋषियों ने गायत्री मंत्र को

भौतिक जगत में सभी प्रकार की मनोकामना

को पूर्ण करने वाला बताया है।


आर्थिक मामलों परेशानी आने पर गायत्री मंत्र

के साथ श्रीं का संपुट लगाकर जप करने से

आर्थिक बाधा दूर होती है।

जैस 'श्रीं ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो

देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् श्री'।


छात्रों के लिए यह मंत्र बहुत ही फायदेमंद है।

नियमित 108 बार गायत्री मंत्र का जप करने से

बुद्धि प्रखर और किसी भी विषय को लंबे समय

तक याद रखने की क्षमता बढ़ जाती है।

यह व्यक्ति की बुद्धि और विवेक को निखारने

का भी काम करता है।


माना जाता है कि इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि

नियमित तीन बार इसका जप करने वाले

व्यक्ति के आस-पास नकारात्मक शक्तियां यानी

भूत-प्रेत और ऊपरी बाधाएं नहीं उत्पन्न होती हैं।


गायत्री मंत्र के हैं बहुत उपकारिताएं

इस मंत्र का रोज़ जाप करने से मिलती है

मुश्किलों से छुटकारा और होती है ज़िन्दगी

आसान और खुशहाल।



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