गाठजोड़ा
गाठजोड़ा
(काव्यांजली काव्य प्रकार)
सखी तेजेश्वरी
आयी मोरो जीवनमा
हर्ष मनमा
भयेव……………. ।। १।।
गाठजोड़ा बंधेव
मंग सप्तपदी चलेव
स्वप्न देखेव
भविष्यका ……….. ।। २।।
मोरो संगमा
जोड़ी बनी मित्रकी
गाठी मंगलसूत्रकी
पयनीस ..……..…. ।। ३।।
वटपौर्णिमाको दिवस
सजी साज श्रृंगारलका
साड़ी, पोलका
पयनके ……….…. ।। ४।।
सौभाग्यकी निशाणी
लगाइस कुकू मस्तकला
ओवाळीस बड़ला
रक्षालाई ..…….... ।। ५।।
अजको दिवस
झाड़ लगावनको मान
सावित्री, सत्यवान
यादमाच ……..…. ।। ६।।
रक्षा पर्यावरणकी
चलो करबीन घाई
हवा सबलाई
प्राणदायी….……..।। ७।।
