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बिमल तिवारी

Abstract

5.0  

बिमल तिवारी

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फ़ागुन मास

फ़ागुन मास

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दिख  रहा  उल्लास तो

आया हैं फ़ागुन मास क्या

गा  रहे  सब  फाग  तो

आया हैं फ़ागुन मास क्या ?


अधरों पर मुस्कान नई हैं

शज़रो पर भी पात नई हैं

छाया बासंती आसमान पे

आया हैं फ़ागुन मास क्या ?


मन हर्षित आंनद विभोऱ

चिड़ियों में कोलाहल जोर

बदलता रूप ज़मीं का तो 

आया हैं फ़ागुन मास क्या ?


बैजयंति से पिला पिला

आसमां है  नीला नीला

सूरज का भी रूप सुहाना

आया हैं फ़ागुन मास क्या ?


ठिठुराई का मौसम ढ़ीला

सूरज हुआ तेज़ का किला

छुपी बसन्ती घर से निकली

आया फ़ागुन मास क्या ?


घर घर शोर उठ रहा नया

चित्त आनन्द सज रहा नया

बदन  में  फुर्ती  नई  नई

आया हैं फ़ागुन मास क्या ?


तिमिर शरद का सिमट गया

ऋतु बसंत जब अगन हुआ

खेतों में दिखते छौनों से

आया हैं फ़ागुन मास क्या ?


भौंरे  तितली फूलों पर

बच्चे  दिखते झूलों पर

तन से कम्बल जुदा हुआ

आया हैं फ़ागुन मास क्या ?


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