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Sonia Jadhav

Abstract

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Sonia Jadhav

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बचपन की कहानी

बचपन की कहानी

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आओ सुनाते हैं तुम्हें एक कहानी,

जब जंगल में पेड़ थे, नदिया में था पानी।

जी भर कर जब बरसता था सावन,

तो कैसे खिल जाती थी धरती और बुझे हुए मन।

बारिश में भीगता था बचपन,

और आँगन में कागज़ की कश्तियां तैरा करतीं थी।

हर रात माँ सुनाती थी एक कहानी,

और जिसमें होती थी, मैं ही अक्सर रानी।

करती थी बचपन में अपनी गुड़िया की शादी,

खेलती थी दिन भर और रात में माँ के सीने से लगकर सोती थी।

मुझे खुश करने के लिए तो पापा की लायी

बस एक टॉफी ही काफी होती थी।

बेहद खूबसूरत था मेरा बचपन,

हाय! क्यों मैं बड़ी हो गयी?

मेरी कागज़ की नाव, गुड़िया की शादी

सब वक़्त के साथ बह गईं।

याद कर लेती हूं बस यादों को कभी-कभी अब,

और जी लेती हूँ फिर से अपना थोड़ा सा बचपन।


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