STORYMIRROR

Swapna Wankhade

Abstract

4  

Swapna Wankhade

Abstract

पहचान

पहचान

1 min
335

चाहे राह में फूल ही फूल मिले

मिले तुफान या आग का दरिया

योजना तो सारी प्रभू की होती हैं

हम तो होते हैं, बस एक जरिया


छल कपट से कुछ हसिल नही होता

जाने कब उलटा घुमे वक्त का पहिया

साफ मन से व्यवहार कीजिये तो सही

शायद मिले सुकून की निंद भरी शय्या


मन मे कोई बात रह ना जाए

दिल खोल कर सब कह जाईये

जिंदगी लंबी हो, ये जरुरी नही

सोच और जिंदगी बडी होनी चाहिए


वक्त आने पर हर किसी को जाना हैं 

ना जाने कितने दिन के हैं मेहमान

बड़ी ना हो, छोटी सी ही सही मगर

अपने बलबुते बनाओ जहां मे पहचान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract