अस्तित्व
अस्तित्व
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जीवन की जरुरतें बदलती हैं
निरंतर होती हैं कोई नयी ख्वाईश
वो पुरी ना हो तो निराश ना होकर
शांत, सुखी रहने की करें कोशिश
सब से एक जैसा व्यवहार करें
कोई किसी भी गुट में हो शामिल
विमर्श की जगह विवाद करने से
असंभव हैं कुछ भी करना हासिल
तन को तो बांधा जा सकता है
रुकता नही मन का उडता परिंदा
शत्रुता भी इतनी सलिके से करो
मिलो तो कदापी होना पडे शर्मिंदा
सोना तप के ही चमकता हैं
मुश्किलें निखारती हैं व्यक्तित्व
अपनों के साथ रह कर हमें
निर्माण काना हैं अपना अस्तित्व!
