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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

" एकांत "

" एकांत "

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झपकियाँ लेते - लेते कुछ सोचता हूँ !

कभी अर्ध - निंद्रा में भी गुनगुनाता हूँ !!

स्वप्न में भी कभी -कभी कहानियाँ बनती हैं !

पर आँख खुलने पर हर चीज धुंधली हो जाती है !!

लेखनी एकांत में ही निखरती है !

सोच भी वीरानों में बनती है !!

कोलाहल ,भीड़ और संगीतों के शोर में कविताएं नहीं बनती हैं !

विचार ,कविता और लेखनी सुने परिवेशों में ही निखरती और सँवरती है।


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