एक तरफा मोहब्बत
एक तरफा मोहब्बत
ए दोस्त तुमसे कुछ नहीं छुपाऐंगे,
सब राज़े-दिल तुम्हें बताऐंगे।
ग़र वादा करो किसी से कुछ ना
कहने कातो हाल-ए- दिल तुम्हें सुनाऐंगे।
इक वादा और भी करना होगा दोस्त कि
रोओगे नहीं, तो अपना ज़ख़्मे- जिग़र भी दिखाऐंगे।
ये वादा भी करना होगा दोस्त कि हँसोंगे नहीं
मेरी नामुक्अमल मोहब्बत पर,
तो पहले प्यार की दास्ता भी सुनाऐंगे।
इक तरफा किया था प्यार शायद हमने,
इसलिए उनसे राज-ए-दिल कह ना सके ,
कही वो ख़फा ना हो जाऐं
इसलिए दिल ही दिल में घुटते रहे हम।
बार किया था हौंसला उनसे इज़हारे-मोहब्बत का,
बस इतना ही कह पाए
आजकल हमें अजीब सा महसूस हो रहा है,
तबीयत नासाज़ रहती है।
वो डाक्टर को दिखाने की सलाह देकर चले गए ,
हम प्यासी निगाहों से खड़े उन्हे देखते रह गए।
आज भी याद करते है उनके किस्सो को,
आज भी महसूस करते है हम उनकी नशीली निगाहों को ,
आज भी तड़फ उठती हैं नसें उनके छुअन के ख़्याल से ही।
अब तो वो किसी और के नूर हो गऐ और हम बेनूर हो गये।
नानानादोस्त मेरा ये राज़े-मोहब्बत , ये इक तरफा़ प्यार ,
किसी से ना कहना, वरना हँसेगा मुझ पर ये बेदर्द जमाना,
अब तो आख़िरी दम तक है इसे दिल मे दफ़नाना
किसी से मेरा ये राज़े- मोहब्बत ना कहना।