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Sumitra Biswal

Fantasy

3  

Sumitra Biswal

Fantasy

एक सपना...

एक सपना...

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कल रात एक प्यारा सा सपना आया..

सपने ने मुझसे मेरा दिलबर था मिलवाया,

हां, बस इसीलिए वो सपना प्यारा कहलाया...


चेहरे पर मुस्कुराहट तो थी उसके,

पर माथे की शिकन को वह मुझसे छिपा न पाया...


बिना कुछ पूछे, "मैं हूं ना" यह कह कर

जब धीरे से मैंने उसका सिर सहलाया...


धीमे से मुस्कुराकर कई दिनों का जागा,

सिर झुका कर मेरे कंधे पर तब वो सो पाया...


तभी अचानक "सुबह हो चुकी है"

कुछ इस अंदाज़ से कहकर अलार्म जोर जोर से चिल्लाया...


नींद टूटी मेरी, पर खुशी इस बात की थी,

कि सपना टूटा नहीं था, हुआ था पूरा, कुछ नहीं रहा था बकाया...

कल रात एक प्यारा सा सपना आया...


   


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