एक सपना सलोना
एक सपना सलोना
मैंने एक सपना सलोना मन में सजाया है,
जिसमें मैंने भारत का अनुपम रूप सजाया है,
मेरा सपना है भारत में फिर से जंगल पूजित हों,
नदियां फिर से मां कहलाएं ना कभी प्रदूषित हों,
फिर से हर घर आंगन में तुलसी सजा करे,
और पीपल की छांव तले कई दीप जला करें,
प्रकृति को सपने में अपना घर बनाया है,
उस घर में मैंने भारत का अनुपम रूप सजाया है।
मेरा सपना है भारत का हर बेटा कलाम बने,
हों सभी बेटियां हिमा-दुति कुछ ऐसा नाम बने,
फिर से शिक्षक गुरु हो जाएं शिक्षामय हो जीवन,
असहाय कभी ना रहे किसी भी बच्चे का बचपन।
ऐसा बचपन जीवन का मैंने लक्ष्य बनाया है,
उसी लक्ष्य में भारत का सुंदर रूप बसाया है,
ऐसा एक सपना मैंने मन में सजाया है,
जिसमें मैंने भारत का अनुपम रूप सजाया है।
मेरा सपना है भारत में हर व्यक्ति में राम दिखे,
देश की मिट्टी इतनी पावन हो इसमें सब धर्मों के धाम दिखें,
जब मित्र मिलें तो मित्रता कृष्ण सुदामा जैसी हो,
प्रीत की हर एक गाथा कृष्ण राधिका जैसी हो।
ऐसे पावन भारत का उज्जवल चित्र बनाया है,
उस चित्र को तीनों रंगों में सजाया है,
ऐसा एक सपना मैंने मन में सजाया है,
जिसमें मैंने भारत का अनुपम रूप सजाया है।।