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Vimla Jain

Inspirational Others Children

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Vimla Jain

Inspirational Others Children

एक समय की बात बताएं

एक समय की बात बताएं

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एक समय की बात है जब सब साथ में रहते थे।

ना कोई किसी से कम ना कोई किसी से ज्यादा।

सब अपनी मस्ती में रहते थे।

ना कोई दिखावा ना कोई एक दूसरे की टांग खिंचाई।

सब बड़े प्यार से रहते थे ।

कम पैसा था कम खाते थे।

दिखावट में हम नहीं जाते थे।

उधार लेकर अपनी सहूलियते हम नहीं बढ़ाते थे।

घर में भले कितने ही मेहमान आ जाए

किसी के दिमाग पर कोई शिकन ना आती थी।

सब अतिथि देवो भव में मानते थे।

क्या जमाना था वो मां बाप की इज्जत करना बड़ों की इज्जत करना।

सबके साथ घुल मिलकर रहना।

महंगाई हमको कभी ना नड़ी

एक चूल्हे पर 10 लोगों का खाना बनता था।

सब बड़े प्यार से खाते थे ना कोई नखरे जो थाली में आया वही खा लिया।

पूरी मस्ती के साथ जी लिया।

मगर कभी कोई शिकायत ना थी।

घर के झगड़े घर में ही निपट जाते थे।

पड़ोसियों को उसकी भनक तक नहीं होती थी।

जमाना भले पुराना था मगर था बहुत ही प्यारा।

आज की दिखावटी दुनिया से कोसों दूर।

दूर-दूर तक उसका नहीं था वास्ता।

भुलाए नहीं भूलता वह जमाना पुराना।

जब घर पूरा भरा रहता था पूरे दिन मस्ती छाई रहती थी।

शांति के लिए बाहर जाना पड़ता था। पढ़ने के लिए छत पर जाना पड़ता था।

मैंने मेरी पढ़ाई छत पर बैठकर ही पूरी करी।

मगर यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं होने पर घर में नीरव शांति रहती थी।

एक साथ कम से कम 10 जने परीक्षा देने वाले होते थे ।

सब बाहर से आते घर पर रुकते और परीक्षा देते थे।

उनके साथ साथ हम भी पढ़ाई कर जाते थे।

वह मस्ती भरे वह सुकून भरे दिल आज भी बहुत याद आते हैं।

वो मस्ती भरे दिन यह सुकून भरे दिन आज भी याद आते हैं।

कुछ नया बनाया होता तो प्रयोग अपनों पर ही होते थे।

मगर जैसा भी बना हो सब अच्छा ही कहते थे।

आज तो कोरोना के कारण लोगों का आना जाना भी बंद हो गया।

फोन करें बिना आप किसी से मिल नहीं सकते ।

औपचारिकता बहुत बढ़ गई।

व्हाट्सएप मैसेज से ही काम चल जाता है

मगर वह मजा नहीं आता जो सबके साथ रहने में था

अब तो एकल परिवार हो गए।


अभी के लोग तो मस्ती को तरस गए।

जब हम सुनाते अपनी बचपन की कहानियां बच्चों को बच्चे खुश हो जाते

खास तौर से सबका एक ही कहना होता है काश हम भी आपके साथ में मस्ती कर पाते।

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन बीते हुए दिन वह प्यारे पल छिन।

आज यादों के समंदर में डुबकी लगाई है

उसमें तो थोड़े मोती हम निकाल कर लाए। वे हमने आपको बताएं ।

आशा है आपको पसंद आएंगे।

वह समय बीत गया पर यादें आज भी जिंदा है।

जो मंद मंद मन में खुशी जगाते हैं। जिनको याद कर हम बहुत खुश हो जाते हैं।

वापस उसी जमाने में पहुंच जाते हैं।

स्वरचित कविता 17 जनवरी 22


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