एक शक्ति
एक शक्ति
एक श्रापित शक्ति
जिसे कहते है -औरत
बदलते है पहरेदार
लेकिन !
जिसके लिए
बदलती नही
समाज की सोच
उसे कहते है -औरत
पिता-भाई
पति-पुत्र का
घर सजाती है।
दिल की बात
कभी
डर संस्कारफर्ज़ के
नाम पर
बस
दिल में ही रह जाती है।
एक श्रापित शक्ति
जिसे कहते हैं -औरत
बाहर की दुनिया
जीतने वाला
खुद को
जब विजयी बनाता है।
और ?
यह भूल जाता है
जो घर बनाती है।
खुदको भूलकर
उसी के
दफन किये सपनो पर
तुम बाहर
विजय की
पताका फहराते हो
तुम क्या करती हो सारा दिन
यह कह कर
कितने मतलबी हो जाते हो
वो तेरी खुशी में खुश रहे
तुम्हें भी कभी
उसकी खुशी का
ध्यान आता है।
बडे-बडे भाषणों की
बात नही करता।
बदल गया या बदलने वाला है।
सच कड़वा है और
अमावस से भी
कही ज्यादा ही काला है।
अपने दिल को टटोलो
उसे भी जीने दो।
अपनी दासता की कैद से
अब तो मुक्त हो जाने दो।
