Dharmender Sharma

Abstract Action Inspirational

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Dharmender Sharma

Abstract Action Inspirational

"एक शिक्षक की व्यथा"

"एक शिक्षक की व्यथा"

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शीर्षक—"हे शिक्षक तुम चुप रहना "


नतमस्तक हो मौन व्यथा में,

हे शिक्षक तुम चुप रहना, 

आधिकारिक आदेशों का पालन, 

सहर्ष स्वीकार करते रहना ।

पुरखों के बलिदानों को मिटते, 

देख कर भी तुम चुप रहना ,

मुगल, फिरंगी अत्याचार की ,

सत्य कथा तुम मत कहना ।

एक नमूना सा बन समाज में, 

आंधी तूफान सहते रहना,

 मानव –दानव बनता जाए ,

मूक –प्राणी बन चलते रहना ।

धर्म संस्कृति के अपमानों की,

उपमा सदा करते रहना ,

बना न पाओ धीर वीर तुम,

इच्छा मन में दबाए रखना ।

आकार घड़े का ना दे पाओ,

बस नाम अपना बनाए रखना,

 उद्दंड निर्लज्जता की पीढ़ी को, 

सम्मानित तुम करते रहना । 

अभिभावकों की खुशी देखकर, 

सत्य ज्ञान भी मत देना ,

हो जाए नष्ट जीवन समाज , 

बस मन व्यथा छुपाए रखना। 

संस्कारहीन न देख सको,

 पर, हे! शिक्षक तुम चुप रहना,

 हे शिक्षक तुम चुप रहना ।



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