एक बूंद पानी अनमोल
एक बूंद पानी अनमोल
एक बूंद पानी की कीमती,
कीमत जल कि तुम पहचानो,
बिन पानी हे जीवन सूना,
जीवन की कीमत पहचानो।
जल ईश्वर की अनूठी देन,
जीवो को है सुख की भेंट,
सुंदर धरती से है जल,
जल से ही प्रकृति भरपूर।
पेड़, पौधे, पर्वत और घास,
रंग –बिरंगे फूल –खलियान,
हरे –हरे ये गात और पात,
जल बिन होंगे ओझल तमाम।
बादल, मौसम, ऋतु– परिवर्तन,
सभी समय पर करते काम,
पर जब हम करते बिन कारण,
प्रकृति दोहन से स्वयं विकास,
तब धरती पर जीना हो मुश्किल,
सुना हो जाए जीवन संसार।
पर्यावरण को करोगे दूषित,
जल उतना ही कम होगा,
बिन कारण पेड़ काटना,
या भूमि से करो छेड़छाड़।
प्लास्टिक हो या रसायनिक वस्तु,
जल को सब करते हैं खराब,
धरती गर्म हो रही दिन –दिन,
घटने लगा पानी का आधार,
पेड़ –पहाड़ है शान धरती की,
पानी इन से निकले भरपूर।
जल बिन जीव भटकते देखे,
विषधर को तरसते देखा,
मेंढ़क का उछलना बंद,
पंछी को तड़पते देखा,
नर –नर को क्या मारेगा,
बिन पानी नर मरते देखा।
बिन पानी ना भोजन –खाना,
साफ-सफाई स्नान, ध्यान,
कैसे प्यास बुझा होगे तुम ?
जो घुटने लगे दम जीवन प्राण।
जैसे क्षण –क्षण समय है चलता,
वैसे बूंद– बूंद हो रही बर्बाद,
न बर्बाद करो जल बूंद को,
तब जीवन होगा खुशहाल।
जल संचय से जीवन आसान,
पानी से मिले रंगीन संसार,
जल चक्र को तुम पहचानो,
हर बूंद ईश्वर की भेंट अपार।
जल जीवन का अपार अमृत,
जीवन अमृत धार बचा लो,
एक बूंद पानी की कीमती,
कीमत इसकी तुम पहचानो,
कीमत इसकी तुम पहचानो।