एक सहारा
एक सहारा
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मत देखो दोष किसी में, जो सबसे बड़ी बुराई है।
सब में ईश्वर ही रमता, करना सब की भलाई है।।
कोई ना होता बुरा इस जग में, सब में छिपी अच्छाई है।
एक बार अपने दिल को तो खोजो, खुद में छिपी बुराई है।।
अवगुणों को चाहता ग़र दूर करना, सेवा-भाव को अपनाई है।
निंदक से कभी घृणा मत करना, करता तुम्हारी धुलाई है।।
सृष्टि के संचालन हेतु, सत्,रज्, तम् ही सहाई है।
इनके प्रभाव से कोई नहीं बचता, प्रभु ने ही लीला रचाई है।।
पड़ती इनकी सबको है जरूरत, फिर जैसी सोहबत पाई है।
साम्यावस्था जो भी रखते, उसने ही विजय पाई है।।
विचारों का ही सकल पसारा, यही बनते दुखदाई हैं।
जैसी करनी वैसी भरनी, नेकी की करनी कमाई है।।
अगर चाहते श्रेयश को पाना, सतसंगत को अपनाई है।
" नीरज" का तो एक ही "सहारा", गुरु चरणों में शीश नवाई है।।