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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

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Chandresh Kumar Chhatlani

Inspirational

एक साथ

एक साथ

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बैठ कर किताबों पे

पढ़ लेते हैं हम बातें।

लेकिन अकेला कोई सब कुछ कैसे पढ़े?

अकेला तो सूर्य भी नहीं कर पाता रोशन पूरी धरती को।

घनघोर आग का भार गति बाधित करता ही है।


धरा फिर भी चलना तो नहीं छोड़ती।

घूम के घंटों में पा लेती है किरणों को।


सुनो! ओ दोस्तों!

हो जाए जो एक गतिहीन।

तुम भेज देना गति तुम्हारी।

वह हम सब का मिलाजुला सामर्थ्य होगा।

जब सब होंगे एक साथ एक जगह एक काम के लिए खड़े।


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