एक रंगीन सपना
एक रंगीन सपना
वहाँ सब कुछ प्यारा था,
सब कुछ न्यारा था,
हर कोई मेरा अपना था !
न कोई गम, न कोई उदासी
हर चेहरा हँसता था वहा
हर कोई मेरा मेरा अपना था !
न जान, न पहचान,
हर कोई गले मिलता था !
वहाँ हर कोई मेरा अपना था !
देख कर आ गए आंखों में आंसू,
खुल गयी नींद, मालूम हुआ,
यह तो "हसू" का रंगीन एक
सपना था !
