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Vikas Yashkirti

Romance Tragedy

4  

Vikas Yashkirti

Romance Tragedy

एक रिश्ता

एक रिश्ता

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रिश्ता एक रिश्ता-

    जिसे मैं दफ्न कर आया था

अपने हाथों से।

एक रिश्ता-

    जो भेंट चढ़ गया था

      दुनिया की चालाकियों 

        और मेरी कमजोरियों के।

एक रिश्ता-

   जो बेबसी की घुटन में

      दम तोड़ चुका था।

आज अचानक धड़का

    एक अहसास बनकर

      जो मीलों की दूरी तय कर के

          मेरी भीगी पलको को चूम गया।

मैं नितांत अकेला 

   जलता जा रहा था

      पीड़ा के दावानल में।

मगर ये क्या- 

   एक रूह और महसूस 

      कर रही है उस उष्णता को।

उफ्फ्फ।

  आज बरसों बाद 

     खूब रोया हूँ उस रिश्ते की

            कब्र पर सर रखकर।

आज फिर बरसों बाद

   मुझे उस कब्र की मिट्टी में

             नमी महसूस हुई।



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