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Kavita Yadav

Drama

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Kavita Yadav

Drama

एक रिश्ता दे जाओ

एक रिश्ता दे जाओ

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जिंदगी कितनी उलझ सी गयी है।

अपनो को तो साथ लिया है मैंने

पर ये अनजाने रिश्तो का क्या करूँ

इस रिश्तों की पोटली को कहा खोलू


निभाते निभाते हर रिश्तों को

थोड़ी सी कभी तकलीफ दे गई

पर अपने थे, मान भी गयी

पर ये अनजाने रिश्तों की पोतली

को कहा खोलू


हर रिश्तो को दिल से निभाओ

दर्द दे सही, कुछ नजऱ अंदाज करो

नादानियां समझने का, एहसास दिखाओ

इस रिश्तों को अनजान ना कहो

कोई नाम दे जाओ

इस रिश्तों की पोटली को

एक रिश्ता दे जाओ।


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