एक महात्मा
एक महात्मा
एक था संत नाम था बापू,
मोहनदास करमचंद गांधी,
वह था,अहिंसा का प्रतीक
हिंसा का पथ छोड़कर,
जीता था,वह अहिंसा पथ के लिए,
एक था संत नाम था बाबू!
सत्य अहिंसा का उपदेश दिया करता था,
बिना ढाल बरछी कटार,
वह अक्सर युद्ध किया करता था,
अहिंसा का पैगाम पहुंचाता था,
डर उसको तनिक भी नहीं सताता था,
एक था संत नाम था बापू!
था, टिकट पहली क्लास का बापू के पास,
फिर भी अंग्रेजों द्वारा अत्याचार कर,
सामान सहित स्टेशन पर फेंका ।
एक था संत नाम था बापू!
संत गये इंग्लैंड,
पढ़ने वकालत का मंत्र,
बन बैरिस्टर वह भारत लौटे,
देखकर अंग्रेज रह गए दंग।
एक था संत नाम था बापू!
गए साउथ अफ्रीका काफी बरस के लिए,
काले गोरे का भेद मिटाया,
भेद मिटाकर उन्होने फिनिक्स जैसा आश्रम बनाया,
कर सत्याग्रह आंदोलन देश का खूब नाम बनाया।
एक था संत नाम था बापू!
उसकी थी एक कमजोरी,
सत्य की राह कभी उसने ना छोड़ी,
सत्याग्रह कर अंग्रेजों को डराया,
नमक कानून को उस ने सराहा
एक था संत नाम था बापू!
दांडी यात्रा थी मिलो तक लंबी,
फिर भी आस ना एक पल भी छोड़ी,
बापू बैठ गए अनशन पर,
लेकर मुद्दा स्वाभिमान,
एक था संत नाम था बापू!
सरदार पटेल और नेहरू जैसे,
थे नायक उसकी सेना में ऐसे ऐसे,
सुभाष का उसने डटकर साथ दिया,
अंग्रेज उनको उनके पथ से, एक पल भी डगा ना पाया।
एक था संत नाम था बापू!
लाठी लेकर अंग्रेजों का वट उखाड़ दिया,
भारत छोड़ो जैसे आंदोलनों का,
जन-जन में विस्फोट किया,
अंग्रेजो ने किये अथक प्रयास, फिर भी वह डगा ना पाया
एक था संत नाम था बापू।
नारी सम्मान उसका था मंत्र,
व्रत उपवास खाकर खिचड़ी,
मन की नहीं तन की भी करो शुद्धि,
पैगाम भाईचारे का उसने दिया ।
एक था संत नाम था बापू।
बापू का हथियार था, चरखा,
सूत काता बनाया कॉटन का कपड़ा,
खादी पर उसने जोर दिया।
ऐसा था वह साबरमती का संत,
जिसने जन कल्याण,पर जोर दिया ।
एक था संत नाम था बापू।
लेकर लाठी पहनकर धोती,
साबरमती के किनारे निर्मित किया एक आश्रम!,
असहाय, निर्धनो का,
उसने डट कर साथ दिया,
ऐसा था वह संत ।
एक था संत नाम था बापू।
