एक माँ की पुकार
एक माँ की पुकार
तू सो जा चैन की नींद, तेरे लिये मैं जागूँ
गम ना सताए तुझे, मैं दिल से दूआ मांगूँ
अपने खून का कतरा, बहा दूँ मैं तेरे लिये
मेरे नयनों के दीपक, जाग रहे हैं तेरे लिये
अपनी औलाद बिना, कैसे जियूँ बता रे
दूर क्यों हुआ मुझसे, क्या है मेरी खता रे
अपनी माँ से बच्चे, दूर जाया नहीं करते
यूँ ही बेवजह माँ को, रुलाया नहीं करते
फफककर रोता है, मेरा दिल तेरे खातिर
जहाँ भी है हो जा, तू मेरे सामने हाजिर।