STORYMIRROR

Mukesh Kumar Modi

Tragedy

4  

Mukesh Kumar Modi

Tragedy

एक माँ की पुकार

एक माँ की पुकार

1 min
65

तू सो जा चैन की नींद, तेरे लिये मैं जागूँ

गम ना सताए तुझे, मैं दिल से दूआ मांगूँ


अपने खून का कतरा, बहा दूँ मैं तेरे लिये

मेरे नयनों के दीपक, जाग रहे हैं तेरे लिये


अपनी औलाद बिना, कैसे जियूँ बता रे

दूर क्यों हुआ मुझसे, क्या है मेरी खता रे


अपनी माँ से बच्चे, दूर जाया नहीं करते

यूँ ही बेवजह माँ को, रुलाया नहीं करते


फफककर रोता है, मेरा दिल तेरे खातिर

जहाँ भी है हो जा, तू मेरे सामने हाजिर।


రచనకు రేటింగ్ ఇవ్వండి
లాగిన్

Similar hindi poem from Tragedy