एक खूबसूरत गुनाह
एक खूबसूरत गुनाह
दिल से उन्हें चाहने का गुनाह हो रहा है ,
मोहब्बत उनसे बेपनाह हो रहा है।
ये आरज़ू नहीं कि वो मिलें मुझे ,
फिर भी सुकून अब तबाह हो रहा है।
दिल को तलब लगी है उनके दीदार की ,
ये नशा अब सरेबाज़ार हो रहा है।
ऐ ख़ुदा ! अब रहम कर मुझ पर ,
क्यों ये गुनाह मुझसे बार-बार हो रहा है।