एक कहानी मेरी जुबानी
एक कहानी मेरी जुबानी
कुछ तेरी कुछ मेरी,
हमने सुनी कहानी।
कुछ सच्ची कुछ झूठी,
हाँ, फिर बुनी कहानी।
हाँ, यथार्थ झुठलाएँ कैसे,
असली रूप दिखाएँ कैसे।
जो दिखता वो सत्य नहीं है,
ये विश्वास दिलाएँ कैसे।
कुछ खट्टी कुछ मीठी,
हमने चुनी कहानी ।।कुछ सच्ची॰।।
रूप अलग व्यवहार अलग है,
उफ़, तेरा संसार अलग है।
ढाई आखर प्रेम न समझे,
हाट बिके वो प्यार अलग है।
बिखरी माला के मनकों- सी,
चुनी कहानी।।कुछ सच्ची॰।।
सबसे श्रेष्ठ और सबसे उत्तम,
जन्मभूमि की माटी क्यूँ है ?
कर्म बिना कुछ साथ न जाए,
जीवन की परिपाटी क्यूँ है ?
जीवन और मृत्यु की,
सबसे सुनी कहानी ।।कुछ सच्ची॰।।
कुछ तेरी कुछ मेरी,
हमने सुनी कहानी।
कुछ सच्ची कुछ झूठी,
हाँ, फिर बुनी कहानी।।