एक दिन का जन्म और ख्याल
एक दिन का जन्म और ख्याल
दिमाग पर जोर देने पर भी याद नहीं के
अम्मा का कोई जन्मदिन मना होगा
जबकि जन्म का कोई न कोई दिन तो
जरूर ही होगा उनका भी
ऐसी कितनी ही अम्मा लोगों को
घर के तमाम बच्चों के जन्मदिन
याद रहे हमेशा
अम्मा का होना और फिर नहीं होना
धरती पर कोई महान घटना नहीं थी
सब कीड़े मकोड़े हैं
पैदा होंगे मरेंगे
ऐसा ही होगा
हाथ में बचे पैसे को
हमारे लिए ही बचाती रहीं थी अम्मा
आखिर खुद नहीं बची
अलमारी में नई साड़ियां
अखबार के नीचे छुपाए पैसे मिले
जनम से मरण तक के सफर के बीच
हमें प्यार चाहिए था,
पैसा चाहिए था
बिस्कुट और केक चाहिए था
पर अम्मा को क्या चाहिए था
इस धरती पर आज की तारीख में
कोई नहीं ऐसा जो बता दे के
उनकी ये या वो चाहत थी
हमारी स्मृतियों में अम्मा रसोई में थी
स्वेटर बनाती थी
मशीन पर सबके पैजामे सिलती थी
बारह हमारे लिए कपड़े लेने जाती थी
पिता से ज्यादा पैसा की रिकझिक करती थी
और सारे नए सामान को सेत कर रखती थी
उम्र के एक मोड़ पर जब
अम्मा थकने लगी
तब उदास हुई
निर्भरता बढ़ी
हाथ खोल कर देने वाली अन्नपूर्णा
हाथ फैला कर आग्रह करने लगी
अम्मा आपका जन्मदिन कब है?
जिसके जन्म की राह देखते हैं
लोग उसका जन्मदिन होता है पागल
बाकी कीड़ा मकोड़ा
अम्मा की तरह बहुत सारे लोगों का इंतजार
जन्म पर नहीं किया गया
पर उन सबनें
धरती को अपनी चाहतों से हरा भरा रखा
पौधों को प्यार किया
आग की हमजोली रही
मिट्टी को घोलती रही
और मिट्टी की हो गई एक दिन
एक दिन जन्मदिन आया ही नहीं कभी
एक दिन बस ख्याल आया....
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