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Brajendranath Mishra

Inspirational

3  

Brajendranath Mishra

Inspirational

एक धर्म हो मानवता

एक धर्म हो मानवता

1 min
560


आओ एक धर्म

ऐसा चलाएँ,

जहाँ सारे धर्मों के

प्रतीक चिन्ह घुल जाएं,

और उनके जानने

और मानने वाले,

एक दूसरे में ऐसे

घुल मिल जाएँ,

जहाँ सिर्फ एक

धर्म हो मानवता,

दया, प्रेम, करुणा,

स्नेह और ममता।


स्व के ऊपर परमार्थ हो,

न कुछ अपना निहितार्थ हो।

हर कोई दर्द देखे तो दूसरों का,

कष्ट दूर करे तो दूसरों का।


हर कोई का

मुकम्मल ईमान हो,

ग़रीब न हो, हर

कोई धनवान हो।

भूख और भय से ऊपर हो,

भ्रष्टाचरण मुक्त, हर

कोई की पहचान हो।


कोई मुखौटा न हो,

शुद्ध हो आचरण।

एक ही ईश्वर हो,

जिसका करें सब वंदन।


परस्पर विश्वास हो,

शुद्ध हो अंतःकरण।

छल, कपट, द्वेष, दम्भ,

का मिट जाए चलन।


उल्लास हो, उमंग हो,

जीवन में प्रेमराग हो।

मधुर-मधुर धुन पर नर्तन हो,

परस्पर व्याप्त अनुराग हो।



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