Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

ritesh deo

Abstract

4  

ritesh deo

Abstract

एक बार फिर पाषाण युग में चलें

एक बार फिर पाषाण युग में चलें

1 min
277


चलो एक बार फिर पाषाण युग में चलें,

वहीं,जहां से इंसान ने शुरुआत की थी,

सभ्य होने की,

वजूद अपना सहेजने की,

जानी थी अहमियत,

एक दूसरे के साथ रहने की,

जाना है अगर इतिहास में ही तो,


पहुँच कर मुग़लों या अंग्रेज़ों के युग पर ही ठहर जाना,

कुछ सिखा नहीं पायेगा,

सुनकर कहानियाँ, खून खराबे और

ज़ुल्मों सितम की दिल दहल जाएगा,

राजाओं और सम्राटों के युग में भी कुछ नया नहीं मिलेगा,


बस वही पुरानी होड़,

राजगद्दी की दौड़,

बहस वही,

ताज किस पर सजेगा,

जा कर इतिहास में यूं,

नफ़रतें टटोलना, है कितना बेमानी...

हो गईं जो भूलें,


टटोलने से उन्हें,कुछ नहीं मिलेगा.....

बची खुची इंसानियत पर एक तीर और चलेगा...

इसलिए, चलो एक बार फिर,

पाषाण युग में चलें,

सीखें फिर से साथ रहना,

सभ्य होना,

प्रकृति को समझना,


जानें कि, होकर अलग अलग भी

मिल कर रहते हैं कैसे..

पूछें पत्थरों से कि,

तराश कर खुद को जीते हैं कैसे...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract