एक अनजान शहर
एक अनजान शहर
एक अनजान शहर,
जो घर से कहीं दूर होता,
निकल पड़ते हैं हम,
कुछ नए-नए अरमानों को सजाये,
एक अनजान से शहर की ओर !
एक ऐसा अंजान शहर,
हमारे मम्मी पापा तो नहीं होते हैं,
पर कुछ नए दोस्त जरुर बन जाते हैं,
जो कभी-कभी मम्मी पापा की कमी होने नहीं देते।
शुरुआती कुछ दिनों तक तो,
बहुत ही याद आती है घरवालों की,
पर कॉलेज के दोस्तों की बात ही अलग होती है,
जो हमें बहुत जल्दी नॉर्मल कर देते हैं।
आखिरकार ये कॉलेज के दोस्त ही तो,
हमें घर से बाहर रहना सिखाते हैं,
ज़िन्दगी जीना सिखाते है।
ये अनजान शहर इन दोस्तों के बीच,
कब अपना सा लगने लगता है,
इसका तो पता ही नहीं लगता,
और अपनी इस दोस्ती यारी में,
कब कॉलेज टाइम खत्म हो जाता है,
यह भी पता नहीं लगता।
और फिर शुरुआत होती है जॉब की रेस,
फिर दोस्तों के साथ चलने लगता है इंटरव्यू का दौर,
अब हाथों में होता है,
कुछ नए सपने, कुछ नए अरमान,
और इन सब अरमानों और सपनों के साथ,
फिर से एक नए सफर का आगाज हो जाता है,
और फिर हम चल देते हैं।
एक नए अनजान शहर की ओर !
एक नए अनजान शहर की ओर !