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adv archana bhatt

Inspirational

4  

adv archana bhatt

Inspirational

एहसास

एहसास

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बेगानेपन की जब भी बात हुई,

 अपनों से ही शुरुआत हुई।

परिवार के साथ बैठते - बैठते, 

हम कमरों में सिमट गए इसकी शुरुआत अभी हुई।


भाई - भाई को तब खा गया,

जब बंटवारे का मसला दोनों के बीच आ गया 

माता पिता दो हिस्सों में बंटने लगे, 

 जब बच्चों को वो बोझ लगे 

संयुक्त परिवार टूटते टूटते कब एकल हो गया, 

इसके जिम्मेदार भी हम ही हुए 

बच्चों को खुला माहौल देने के लिए, 

 

अब हम उनके पहरेदार हुए 

आज इस चकाचौंध की दुनिया में,

 हम सब बुझकर रह गए 

हालात ये है कि आदमी कुछ कर नहीं सकता, 

हमदर्द कोई किसी का बन नहीं सकता 

ऐसी स्थिति पैदा करने के लिए,


हम सब इसके हिस्सेदार बने 

आज एक दूसरे से इस बात पर, 

प्रश्न करने के भी हम हकदार ना रहे 

बेगानेपन की जब बात हुई,

अपनों से ही शुरुआत हुई।


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