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Geeta Upadhyay

Abstract

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Geeta Upadhyay

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एहसास होता है तुझे

एहसास होता है तुझे

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जमाने में कुछ हद तक लड़के 

लड़की का भेद मिटा पाए हैं

 किंतु पुराने दकियानुसी

विचारों केअभी भी कुछ साए हैं


मेरे घर के आंगन में कभी

ऐसे खयाल नहीं आए हैं

 मां पापा मेरे आने की उम्मीद लगाए हैं

हालात ए जहां सुनकर

मां मेरे अश्क छलक आए हैं


उन बच्चियों बहन बेटियों से हुई

हैवानियत हिला देती है तुझे और तेरी रूह को

चीखना चाहती है चीख   

तेरे अंदर ही घुट जाती है 


एनकाउंटर की खुशी से दिल को राहत

 फांसी का टलना और तेरी झुंझलाहट 

मुझे तेरे हर भाव का एहसास होता है

तेरा हर जज्बात मेरे लिए खास होता है


मां मैं नहीं आना चाहती हूं अब इस जहां में

सिवाय तेरी कोख कहीं सुरक्षित नहीं हूं मैं

वहशी दरिंदों की बस्ती है यहां

जिंदगी बहुत सस्ती है यहां


मैं महसूस करती हूं उस हर चीज को 

जो तुझ से होकर जाती है 

तेरी एक शिकन भी मुझे बहुत तड़पाती है

मेरे होने के बाद की खुशी से ज्यादा 


तेरी बेचैनी घबराहट डर

महसूस होता है मुझे

जैसे मेरी खामोशी आहट

मुस्कुराहट हर चीज का

एहसास होता है तुझे।


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