STORYMIRROR

Shailaja Bhattad

Abstract

3  

Shailaja Bhattad

Abstract

एहसास है

एहसास है

1 min
231

जिंदगी को दौड़-दौड़ कर पकड़ने से

कभी मिली कभी छूट गई ।

थोड़ा रुक कर सांस लेकर

जब देखा तो पाया,

जिंदगी तो कहीं गई ही नहीं

वह तो हम ही थे जो वक्त के दास थे

इसीलिए तो शायद उदास थे

आज लेकिन वक्त के साथ हैं तो,

भरपूर विश्वास है ।

खुशियों का भी 

एक अलग एहसास है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract