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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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एहसास है

एहसास है

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जिंदगी को दौड़-दौड़ कर पकड़ने से

कभी मिली कभी छूट गई ।

थोड़ा रुक कर सांस लेकर

जब देखा तो पाया,

जिंदगी तो कहीं गई ही नहीं

वह तो हम ही थे जो वक्त के दास थे

इसीलिए तो शायद उदास थे

आज लेकिन वक्त के साथ हैं तो,

भरपूर विश्वास है ।

खुशियों का भी 

एक अलग एहसास है।


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