एहसास दिल के
एहसास दिल के
वो एहसास कुछ खास थे..
जो उन्हें देखकर मुझे हुआ था।
उनकी हर कुछ हरकतों ने..
मेरे इस दिल को छुआ था।।
हाल-ए-दिल किसीसे कह पाना मुमकिन नहीं था,
यूँ घुट के जीने को राजी ये दिल भी नहीं था।
क्योंकि शायद लग चुकी थी मुझे इश्क़ की बिमारी,
फिर तभी से कोरे कागज पर मैंने अपनी दास्तां उतारी।।
धीरे-धीरे समय गुजरता रहा..
पर लिखने की चाहत कम न हुई,
इस तरह लिख डाली मैंने और भी कविताएँ कई।
बस ऐसे ही कुछ लिखने की मेरी शुरूआत हुई,
कोरे कागज से ही मेरे दिल की हर बात हुई।।
