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lalita Pandey

Inspirational

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lalita Pandey

Inspirational

दया

दया

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हैं मोहपाश का बंधन

छूटे से ना छूटे

ह्दय का एक कोर ढका है 

दया का एक दीप जला है।


कभी होता है प्रज्वलित 

कभी उदासीन रह जाता

स्वयं का सृजन कर

गतिहीन हो जाता।


सोचें नित नवीन स्वप्न किंतु 

दया के दीप को न देख पाता। 

रिश्ते नातों में प्रेम रस बहाता

ये दयालुता हर मानव को 

देव-तुल्य बनाता।


हो अगर प्रज्वलित 

मन पावन हो जाता

जगत के कल्याण संग

मानव जीवन सुखमय हो जाता।


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