दूर तक कोई नहीं
दूर तक कोई नहीं
दूर दिख रहे मुझे अपने कमरे से
कई अमानवी दैत्याकार हाई वोल्टेज खम्भे
और पास में है किसी मोबाइल कम्पनी का
रेडिएशन टावर
शायद लाखों लोगों को बातचीत करवाता हुआ
और अनजान दिलों को
आभासी दुनिया में धकेलता
आस पास के पेड़ पौधे
उस की भयानक किरणों की चढ़ गए भेंट
हाई वोल्टेज हमारी रगों में फैला रही एक नशा
क्योंकि
पास आना तोड़ देता है तिलिस्म आभासी दुनिया का
और हमें धरातल पर ला पटक देता है
फिर भी नशा बनाये रखते हैं हम सब
है न विडंबना
यही नशा शायद ज़रूरी भी है
हमें याद दिलाने को बार बार
की हमारे पास कोई नहीं दूर दूर तक
कोई नहीं ,कोई नहीं.