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Shubham Gupta

Drama

1.0  

Shubham Gupta

Drama

दूर के ढोल सुहावने होते हैं

दूर के ढोल सुहावने होते हैं

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जो है उसका मोल नहीं

जो नहीं है उसके दीवाने होते हैं

बस दूर के ढोल सुहावने होते हैं !


बचपन में जवानी एक सपना

जवानी में बचपन एक टूटा सुहाना सपना

बस वर्तमान से तेरा बैर

वाह रे मानव ! तेरी प्रकृति का अजब है खेल !


असंतोष हृदय में

स्थिरता का नाम नहीं

जो आज है सर्वोपरि

तो कल धूलि समान वही


कल तक थी जो कामना

गर पूरी हुई तो मोल कहाँ ?

असीमित मन की इच्छाएं

अधूरी रहती सर्वदा

जितना हो उतना कम है

नित नये स्वप्न संजोते हैं


जो है उसका मोल नहीं

जो नहीं है उसके दीवाने होते हैं

बस दूर के ढोल सुहावने होते हैं...।



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