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Pankaj Sharma

Romance

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Pankaj Sharma

Romance

दूर देश अंजाना

दूर देश अंजाना

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हवा बहती हुई यूं मदधम सी, गा रही है एक तराना..

मेरे यार का लाई है संदेश, जिसपे नहीं है पता ठिकाना..

उस खत में लिखे हैं शब्द दो ही, अब कैसे जाए पहचाना..

आए तुम्हे जब याद मेरी, तुम प्यार से मुझे बुलाना..


मैं आउंगी ये वादा है, चाहे रोके सारा जमाना..

क्या भूल गई वादा वो अपना, इस गम में है दिल दीवाना..

क्या मै करूँ, चाहता है दिल, करीब उसके अब चले जाना..

मैं रोक नहीं सकता अब उसको, मुश्किल है सब्र कराना..


मैने हवा से की फरियाद के वापस मुझे अपने साथ ले जाना..

मैं आऊं कहां, मेरे यार का पता पुछ के मुझे बताना..

उसकी झलक को हूं मैं तरस गया, बस एक बार दिखला ना..

टालने में वो माहिर है, पर तू करना ना कोई बहाना..


क्यूं नहीं मिलता वो मुझसे, उसे मिलके है पता लगाना..

मुझे जानना है, वो है कहां, उसे क्यूं नहीं है यहां आना..

उसे कहदे मैं न भूलूंगा, चाहे भूले सारा जमाना..

गर वो नहीं आ सकती तो उसे पड़ेगा मुझे बुलाना..


हवा भी हो गई परेशान, वो चाहे मुझे समझाना..

जहां यार मेरा, मैं जा नहीं सकता, है दूर देश अंजाना….


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